kanchan singla

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एक किताब या एक पन्ना

एक पूरी किताब हूं मैं या
हूं किताब का एक पन्ना
कभी भरा भरा 
कभी कोरा कोरा ।।

रंग बिरंगे सुंदर अक्षरो में लिखा हुआ
कोई रीत पुरानी कहानियों का संसार रचा हुआ
कहीं गीत भरी कविताओं का श्रृंगार रचा हुआ 
एक पूरी किताब हूं मैं या हूं किताब का कोई पन्ना ।।

कोरे जीवन का कोरा सा पन्ना
हैं कहीं नयी आशाओं का भार लिए
गगन को छूने या पंख लगा कर उड़ने को
आती जाती हवाओं का भार संभाल लिया
बनाने को एक पूरी किताब, मैं एक कोरा सा पन्ना ।।

जो भी रच डाला पन्नो पर लिख दिया
पन्ने दर पन्ने भरते गए
ढ़ेर लगा कर पड़े रहे
फिर एक दिन उन्हें किताब में बदल दिया ।।

कभी पन्ना रहा कभी किताब बन गया
कभी कोरा था कभी स्याही से भर गया
बस इतनी सी ही है मेरी कहानी 
सफेद पन्नों पर स्याही की जुबानी ।।



# कॉपीराइट_लेखिका - कंचन सिंगला©®
लेखनी प्रतियोगिता -24-Jul-2022

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12 Comments

Abhinav ji

25-Jul-2022 07:39 AM

Very nice👍

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Raziya bano

24-Jul-2022 09:28 PM

Nice

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Gunjan Kamal

24-Jul-2022 09:20 PM

बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति 👌🙏🏻

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